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Bihar NDA Seat Sharing: बैक टू बैक सियासी झटके से कांप रहे बिहार के नेता, NDSGK ने तो एनडीए का खेल ही बिगाड़ दिया!

Bihar NDA Seat Sharing: बैक टू बैक सियासी झटके से कांप रहे बिहार के नेता, NDSGK ने तो एनडीए का खेल ही बिगाड़ दिया!

Source: Navbharat Times
Author: अभिषेक कुमार, रमाकांत चंदन

पटना: मारे गए गुलफाम...! जी हां, यह हाल है राज्य के उन नेताओं का जो लोकसभा की उम्मीदवारी के प्रति इस कदर आश्वस्त थे कि क्षेत्र में प्रचार प्रसार तक में जुट गए थे। पर राज्य में गठबंधन की सूरत क्या बदली इन नेताओं के होश उड़ा डाले। सीट शेयरिंग की गोटियां कुछ ऐसी बैठाई गई कि कई नेता जहां अपनी उम्मीदवारी मान चुके थे वह सीट गठबंधन के नए साथी के खाते में चला गई। अब ऐसे उम्मीदवारों को न उगलते बन रहा है और न निगलते।शिवहर ने तोड़े कई बीजेपी उम्मीदवारों के दिल

बिहार में लोकसभा के चुनावी माहौल बनने के साथ यह चर्चा चल पड़ी की शिवहर की सांसद रमा देवी का टिकट कटने जा रहा है। इस अहसास के साथ कई भाजपा नेता अपनी अपनी गोटी सेट करने में लग गए। भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री राणा रणधीर सिंह शिवहर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अंदरूनी तैयारी शुरू कर चुके थे। शिवहर लोकसभा से इनके पिता सीताराम सिंह सांसद भी रहे थे।

शिवहर लोकसभा से चुनाव लड़ने की चर्चा भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शंभू सिद्धार्थ भी की थी। युवा भाजपा नेताओं की सूची में इनका भी नाम शामिल था, जिन्हें भाजपा नए चेहरों के नाम पर चुनावी मैदान में लाना चाहती थी।

सांसद सुनील पिंटू को भी लगा झटका

वैसे तो सीतामढ़ी लोकसभा सीट के लिए बतौर सीटिंग सांसद सुनील कुमार पिंटू आश्वस्त थे। लेकिन जब राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी लोकसभा से जब सभापति देवेश चंद्र ठाकुर की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी तब उन्हें भी झटका लगा। बाद में भाजपा नेतृत्व से बातचीत के क्रम में यह आश्वासन मिलने की बात कही गई कि शिवहर लोकसभा से आपके लिए स्थान बनाया जाएगा। वैसे भी भाजपा की रणनीति में अक्सर यह होता रहा है कि मोतिहारी से राजपूत और शिवहर से वैश्य उम्मीदवार लड़ाए जाते हैं। इन दो जाति के संतुलित वोट से भाजपा मोतिहारी और शिवहर लोकसभा के जीत का समीकरण रचते रही है। लेकिन शिवहर लोकसभा के जेडीयू के खाते में जाते ही सुनील पिंटू की बची खुची उम्मीद भी खत्म हो गई।

फातमी का भी दिल टूटा

दरभंगा सीट पर उम्मीद लगाए बैठे जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव अली अशरफ फातमी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सीट बंटवारे के बाद राष्ट्रीय महासचिव समेत तमाम पदों के साथ सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। वह राष्ट्रीय जनता दल से पहले भी जुड़े थे और उसी के साथ रहते हुए केंद्र में मंत्री भी रहे थे। जेडीयू में जब नीतीश कुमार दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो उन्हें भी राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया। सीएम नीतीश कुमार की पार्टी की एनडीए में वापसी के समय से वह असहज थे।

अली असरफ फातमी ने अपने लेटर पैड पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिए गये इस्तीफे में लिखा है कि 'मैं नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु जनता दल यूनाइटेड के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्य से इस्तीफा दे रहे हैं।'

विजय मांझी के उम्मीद पर पानी फिरा

गया लोकसभा के सीटिंग सांसद विजय मांझी भी सीट शेयरिंग के शिकार हो गए। समझौते में गया सीट हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के हिस्से में चला गया। एनडीए के रणनीतिकारों के इस निर्णय के बाद जदयू सांसद विजय मांझी की उम्मीद पर भी पानी फिर गया। हालांकि मांझी जदयू के इस निर्णय के साथ खड़े हैं। उन्होंने जीतन राम मांझी को मदद करने का आश्वासन भी दिया। पर विजय मांझी ने यह दुख भी व्यक्त किया कि प्रदेश नेतृत्व ने हमारी बात नहीं मानी।

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महाबली भी हुए बेटिकट

काराकाट के सांसद महाबली सिंह भी गठबंधन के नए स्वरूप का शिकार हुए। गठबंधन के रणनीतिकारों की सीट शेयरिंग को लेकर तैयार फॉर्मूला के तहत काराकट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा के खाते में चली गई। और अब यहां से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ेंगे।