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जिस माफिया ने जताया डर वह मर गया? मुख्तार समेत 9 माफिया और दुर्दांत अपराधियों की कस्टडी में मौत

जिस माफिया ने जताया डर वह मर गया? मुख्तार समेत 9 माफिया और दुर्दांत अपराधियों की कस्टडी में मौत

Source: Navbharat Times

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश में बीते सात साल कुख्यात माफियाओं और दुर्दांत अपराधियों के लिए काल बनकर आए हैं। खास बात यह है कि माफिया मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत जिन-जिन माफियाओं ने मौत से पहले खुद के मारे जाने का डर जताया वे या तो दुश्मनों की गोली का शिकार हो गए या बीमारी उनकी मौत की वजह बन गई। बीते सात सालों में माफिया मुख्तार अंसारी समेत नौ माफिया और अपराधी हैं, जिनकी कस्टडी में मौत हुई। किसी की हत्या हुई। किसी को मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया, तो कहीं मौत की वजह बीमारी बनी।

मुन्ना बजरंगी

इस लिस्ट में पहला नाम है माफिया मुख्तार अंसारी के करीबी रहे और पूर्वांचल के कुख्यात मुन्ना बजरंगी का। नौ जुलाई 2018 में बागपत जेल में हत्या से पहले मुन्ना बजरंगी के परिवारवालों ने उसकी हत्या की आशंका जताई थी। इस संबंध में मुन्ना की पत्नी सीमा सिंह ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। तीन दिन बाद मुन्ना के परिवारवालों का डर सही साबित हुआ। एक मामले में झांसी जेल से बागपत जेल भेजे गए मुन्ना की वहां पहुंचने के कुछ घंटों के अंदर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई।

संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा

ऐसा ही कुछ वेस्ट यूपी के कुख्यात माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा के साथ भी हुआ। कोर्ट में पेशी पर जा रहा जीवा लगातार खुद की जान को खतरा होने और पर्याप्त सुरक्षा दिलाए जाने की बात कह रहा था। सात जून 2023 को जीवा की आशंका तब सही साबित हुई जब लखनऊ में पेशी के दौरान उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।

मुख्तार अंसारी

इस कड़ी में तीसरा नाम है माफिया मुख्तार अंसारी का। मुख्तार ने 21 मार्च को कोर्ट के सामने कहा था कि उसकी हत्या की साजिश रची जा रही है। उसे खाने में स्लो पॉइजन दिया जा रहा है। सप्ताह भर के अंदर ही मुख्तार की आशंका सही साबित हुई। हालांकि उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई है लेकिन 21 मार्च को लगाए गए उसके आरोप ने विरोधी दलों को एक मुद्दा दे दिया है।

विकास दुबे

बीते सात सालों के दौरान यूपी में बिकरू कांड और डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसवालों की हत्या के मुख्य आरोपित विकास दुबे की मौत भी कस्टडी में हुई। बिकरू कांड के बाद जब विकास दुबे को पूरे यूपी की पुलिस तलाश रही थी तो उसने उज्जैन में महाकाल मंदिर के पास सरेंडर कर दिया। उज्जैन से कानपुर लाए जाने के दौरान गाड़ी पलटी और उसने भागने की कोशिश की। जहां पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया।

अतीक और अशरफ

इस सूची में कस्टडी में सबसे सनसनीखेज हत्याएं हुईं प्रयागराज के माफिया ब्रदर्स अतीक अहमद और अशरफ की। उमेश पाल हत्याकांड के बाद दोनों को अहमदाबाद और बरेली से पेशी के लिए प्रयागराज लाया गया था। बेटे असद के मुठभेड़ में मारे जाने के दो दिन बाद ही अस्पताल ले जाते समय अतीक और अशरफ की तीन हमलावरों ने पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी थी।

खान मुबारक

अंबेडकरनगर के कुख्यात माफिया खान मुबारक की भी जूडिशल कस्टडी में ही मौत हुई। वह बीमार चल रहा था। मौत के दौरान खान मुबारक हरदोई जेल में बंद था। जहां उसकी तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

मेराज और मुकीम

मुख्तार के करीबी मेराज और वेस्ट यूपी में पलायन के मुख्य आरोपित कुख्यात मुकीम काला भी पुलिस कस्टडी में मारे गए। चित्रकूट जेल में बंद मेराज और मुकीम काला की कुख्यात अंशू दीक्षित ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। हालांकि बाद में अंशू दीक्षित को भी पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था।