Stay on this page and when the timer ends, click 'Continue' to proceed.

Continue in 17 seconds

दास्तान: एक शेरनी सौ लंगूर... नारे की कहानी, इंदिरा गांधी की जीत से था खास कनेक्शन

दास्तान: एक शेरनी सौ लंगूर... नारे की कहानी, इंदिरा गांधी की जीत से था खास कनेक्शन

Source: Navbharat Times

नई दिल्ली: आपातकाल के बाद देश में कांग्रेस पार्टी को लेकर एक असंतोष था। देश में जनता पार्टी की सरकार बन गई थी। रायबरेली से हारने के बाद ऐसा कहा जाने लगा कि इंदिरा गांधी का कमबैक करना अब संभव नहीं। उन्हीं दिनों नालंदा जिले के बेलछी में आठ दलितों की मौत के बाद इंदिरा गांधी ने वहां का दौरा करने का फैसला किया। वो पीड़ितों के परिवारों से मिलने वहां पहुंचीं थी। इंदिरा गांधी के इस दौरे ने दलितों के बीच मरहम का काम किया।हाथी पर दलितों के गांव पहुंची थीं इंदिरा

उस वक्त राष्ट्रीय या फिर क्षेत्रीय नेताओं के इस तरह के सांत्वना दौरे की परंपरा नहीं थी। हाथी की सवारी कर इंदिरा गांधी दलितों के गांव तक पहुंच पाई। भारी बारिश के बीच उन्होंने गहरी नदी पार की थी। वहां उन्होंने पीड़ितों के आंसू पोंछे। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हाथी पर बैठी तस्वीर पश्चिम मीडिया में भी चर्चा का केंद्र बनी थी। इस घटना ने इंदिरा गांधी के राजनीतिक करियर के लिए संजीवनी का काम किया।

इंदिरा जी आप भी यहां, मैं भी यहीं... जब सुषमा स्वराज ने चुनाव में खींच दी बड़ी लकीर, फतेहपुर लोकसभा का किस्सा

देवराज उर्स ने दिया था नारा

इसी घटना के बाद से कांग्रेस में इंदिरा को वापस सत्ता की दहलीज तक लाने के लिए जोर शोर से रणनीति बनने लगी। इसी दौरान 1978 के उपचुनाव में उनके लिए एक सुरक्षित सीट तलाशी गई। ये सीट थी कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट। मौजूदा सांसद डीबी गौड़ा से सीट खाली करवाई गई। यहां इंदिरा के सामने चुनौती सीएम वीरेंद्र पाटिल से भिड़ने की थी। ऐसे में इंदिरा गांधी के लिए एक नारे की भी खोज हुई। जो कांग्रेसी नेता देवराज उर्स के नारे...एक शेरनी सौ लंगूर...चिकमंगलूर, चिकमंगलूर पर रुकी। भाषा की मर्यादा पर खरा ना उतरने के बावजूद ये नारा चल निकला।

जब पंक्चर जीप पर पडरौना की जनसभा में पहुंचीं इंदिरा गांधी, टॉर्च की रोशनी में दिया था भाषण

17 से 18 घंटे प्रचारकहा जाता है इस उपचुनाव के प्रचार के लिए इंदिरा गांधी खुद 17 से 18 घंटे तक प्रचार किया। चुनाव का नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया और इंदिरा गांधी ने 77 हजार वोटों से जीत हासिल की और उनके विपक्ष में खड़े 26 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।