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विदेश दौरे में जमकर उड़ाया पैसा, ऑडिट में पकड़ाया, 3 IAS अधिकारियों ने तो हद कर दी

विदेश दौरे में जमकर उड़ाया पैसा, ऑडिट में पकड़ाया, 3 IAS अधिकारियों ने तो हद कर दी

Source: Navbharat Times

नई दिल्ली/चंडीगढ़: जनता दिन-रात मेहन कर कमाई का एक हिस्सा टैक्स में देती है और यहां इन तीन आईएएस अफसरों ने उस पैसे से अपने शौक पूरे किए। एक सरकारी जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि तीन वरिष्ठ IAS अधिकारियों ने 2015 में पेरिस की यात्रा की थी। उस यात्रा में इन तीनों ने जमकर पैसा उड़ाया था। ऑडिट रिपोर्ट सामने आते ही तीनों का सच बाहर आ गया। चंडीगढ़ के महालेखा परीक्षा निदेशक (केंद्रीय) ने बताया है कि इन तीनों अधिकारियों ने यात्रा बढ़ाने, होटल बुकिंग और यात्रा की तारीखों में हेरफेर कर के 6.72 लाख रुपये से अधिक का खर्च किया है।9 साल पहले गए थे पेरिस

जून 2015 में, चंडीगढ़ के उस समय के सलाहकार विजय देव, पूर्व गृह सचिव अनुराग अग्रवाल और पूर्व सचिव (कार्मिक) विक्रम देव दत्त पेरिस गए थे। यह दौरा शहर के नियोजक वास्तुकार Le Corbusier की 50वीं पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए था। यह दौरा फ्रांस के फाउंडेशन ले कोरबुसीए के निमंत्रण पर हुआ था। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दौरा सात दिनों का था और इसे स्क्रीनिंग कमेटी के सामने न तो पेश किया गया और न ही मंजूरी दी गई। सरकारी नियमों के अनुसार, बिना स्क्रीनिंग कमेटी की मंजूरी के किसी भी सरकारी अधिकारी की विदेश यात्रा पांच दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए।

जनता के पैसों पर विदेश में खर्चे

तीनों आईएएस अफसरों ने पेरिस यात्रा के बहाने टैक्सपेयर्स के पैसे से खूब इंजॉय किया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो तीनों अधिकारियों ने एक दूसरे की ट्रिप पर मुहर लगाई है। विजय देव ने विक्रम देव दत्त, विक्रम देव दत्त ने अनुराग अग्रवाल और अनुराग अग्रवाल ने विजय देव की ट्रिप पर मुहर लगाई। पहले पेरिस यात्रा का बजट 18 लाख था जो बाद में बढ़कर 25 लाख पहुंच गया था। बिजनेस क्लास के टिकट 1.77 लाख रुपये के थे।

ऑडिट करने में इतनी देरी क्यों?

यात्रा 12 जून से 18 जून 2015 तक होनी थी, लेकिन तीनों अधिकारियों ने इसे बढ़ा दिया। यात्रा अवधि को विजय देव के लिए 11 जून से 19 जून, विक्रम देव दत्त के लिए 11 जून से 21 जून और अनुराग अग्रवाल के लिए 12 जून से 19 जून तक संशोधित किया गया था। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि इस यात्रा में भाग लेने के संबंध में विदेश मंत्रालय से कोई प्रमाण पत्र नहीं लिया गया। संबंधित अधिकारियों के नामांकन को केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक की ओर से इसे अनुमोदित किया गया था। देव, दत्त और अग्रवाल की स्वीकृति संबंधित मंत्री से नहीं ली गई थी। सभी खर्च चंडीगढ़ के केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की ओर से किए गए थे। चंडीगढ़ के एक आरटीआई कार्यकर्ता आरके गर्ग ने आरटीआई के तहत लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्राप्त की और कहा कि अतिरिक्त खर्च की जांच की जानी चाहिए। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑडिट करने में आठ साल क्यों लग गए? ऑडिट 2021-2022 में हुआ और 2023 में जमा किया गया था।