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कहीं भूमिहार लालटेन पर और यादव कमल पर मार रहा वोट बिहार में चुनाव को समझना इस दफे मुश्किल क्यों

कहीं भूमिहार लालटेन पर और यादव कमल पर मार रहा वोट बिहार में चुनाव को समझना इस दफे मुश्किल क्यों

Source: Navbharat Times

पटना/मुजफ्फरपुर: न कहीं बड़ी होर्डिंग। न नेताओं का शोर। ऊपरी तौर पर चुनाव का अहसास नहीं। भीषण गर्मी के बीच बिहार की राजनीति चुनाव के समय में भी कहीं छांव में आराम करती दिखी रही है। तो क्या सरसरी तौर पर नीरस दिख रहे चुनाव की असल हकीकत भी यही है जमीन पर? मुजफ्फरपुर के कांटी में कुछ लोग इसमें थोड़ी स्पष्टता लाते हैं। प्रतीक शाही कहते हैं, 'चुनाव इस बार ऐतिहासिक है। कई नई चीजें होंगी। पुराने मिथ टूटेंगे। जाति से भूमिहार प्रतीक वैशाली सीट के वोटर हैं। वह RJD प्रत्याशी मुन्ना शुक्ला को वोट देंगे। मुन्ना शुक्ला भी भूमिहार हैं। उनके स्वजातीय लोग कहते हैं कि यह सपने में भी नहीं सोचा था कि लालटेन को वोट करेंगे। इस बार यह होगा। साथ में यह जोड़ना भी नहीं भूलते हैं कि उन्हें देश में नरेंद्र मोदी ही पीएम चाहिए और वह सरकार बना भी लेंगे भले वह एक सीट हारें। वह यह भी जोड़ते हैं कि एक साल बाद बिहार में विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव सीएम बन सकते हैं। उनका कहना है कि लालू प्रसाद के समय जो RJD से कटुता थी वह अब उतनी नहीं रही।

बिहार में इस दफे चुनाव समझना मुश्किल

राज्य में कुछ जगहों पर घूमने पर पहला संकेत यही दिखा कि चुनाव के अंदर कई लेयर है। कोई एक फॉर्म्युला किसी एक संसदीय क्षेत्र में तो क्या एक गांव तक काम करता नहीं दिख रहा है। ऐसे में किसी एक गांव, टोले, जाति के ट्रेंड पर पूर्वानुमान लगाना किसी को भी भारी पड़ सकता है। राजनीतिक दल के नेता भी इसे डिकोड नहीं कर पा रहे हैं। मुजफ्फरपुर के मझौली में परमानंद निषाद कहते हैं कि जब नेता लोग पाला बदलते हैं तो जनता क्यों नहीं बदले? वह किसी का गुलाम क्यों बने। मझौली मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है जहां से मौजूदा BJP सांसद अजय निषाद का टिकट गया तो वे महागठबंधन में कांग्रेस के उम्मीदवार बन गए हैं। परमानंद निषाद के अनुसार जब सभी अपना-अपना हित देखता तो वह भी अपनी जाति का नेता क्यों नहीं देखें? उनकी शिकायत अजय निषाद से है कि वह अपने पिता कैप्टन जयनारायण निषाद की तरह लोगों के बीच नहीं जाते हैं। जयनारायण निषाद राज्य के प्रमुख मल्लाह नेता रहे हैं। इस बार मुकेश सहनी मल्लाहों के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें RJD ने तीन सीटें दी हैं। RJD को लगता है कि अगर सहनी का वोट मिल गया तो उन्हें लाभ होगा। राज्य में लगभग 20 फीसदी मुस्लिम और यादव वोट है जिसका बड़ा हिस्सा RJD को मिलता रहा है। यह एकमुश्त वोट पिछले कई वर्षों से RJD की सबसे बड़ी मजबूरी और सबसे बड़ी कमजोर भी है। इस 30 फीसदी वोट के सामने काउंटर ध्रुवीकरण बहुत प्रभावी रूप से होता रहा है।

इस बार चुनाव बहुत महीन है। इसे आसानी से नहीं लोग समझ पाएंगे। कहीं भूमिहार लालटेन को वोट कर रहा है। कहीं यादव कमल को वोट मार रहा है।लाल बाबू शाही, मुजफ्फरपुर के निवासी

ऐसे होती है नीतीश कुमार की इंट्री

पाटलिपुत्र सीट के दीघा में सागर पटेल के लिए अब भी नीतीश कुमार उनके नेता हैं। सागर कहते हैं कि जब से उन्हें ज्ञान हुआ है तब से वह नीतीश कुमार का काम देख रहे हैं। वह अपने हाथ से दूर बने दो पुल को दिखाते हैं जिनके बनने से पूरे इलाके में आना-जाना कितना आसान हो गया। वह नीतीश का बचाव करते हैं, पूछते हैं कौन दल सत्ता में नहीं रहना चाहता है। अगर नीतीश अपने दल और बिहार की बेहतरी के लिए पचास पलट मारते हैं तब भी उन्हें वह मंजूर है। बिहार में नीतीश कुमार को 'उनार फैक्टर' भी कहते हैं। मतलब जिधर वह चले जाते हैं, पाला उधर झुक जाता है। यही कारण है कि RJD इस बार कागज पर बेहद मजबूत NDA को हराने के लिए नीतीश कुमार के अति पिछड़े और गैर यादव पिछड़े वोट में हिस्सेदारी लेने की कोशिश कर रही है। उम्मीदवारों को तय करने में इसे प्राथमिकता दी गई।

BJP के लिए मोदी है तो मुमकिन है सी स्थितिइन सबके बीच बीजेपी पूरी लड़ाई पूरी तरह मोदी फैक्टर को सौंप दिया है। पाटलिपुत्र संसदीय सीट पर कुर्जी के सुरेश मंडल ने कहा कि दो बार से नरेंद्र मोदी के नाम पर रामकृपाल यादव को वोट देकर जीता रहे हैं। शायद इस बार भी वह उन्हें वोट देंगे। मगर, वह इलाके में BJP से बेहतर नेतृत्व देने की मांग करते हैं ताकि इलाके का विकास हो सके। इसी सीट RJD से लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती खड़ी है। राज्य की 40 लोकसभा सीटों के लिए सात चरणों में वोटिंग हो चुकी है। 2019 आम चुनाव में NDA ने 39 सीट पर जीत हासिल की थी। विपक्ष को एकमात्र जीत किशनगंज में मिली थी जहां कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी हुए थे।