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रोटी, दाल, सब्जी... क्या महंगाई ने लोकसभा चुनावों में दिया बीजेपी को झटका?

रोटी, दाल, सब्जी... क्या महंगाई ने लोकसभा चुनावों में दिया बीजेपी को झटका?

Source: Navbharat Times

नई दिल्ली: हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों में बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। माना जा रहा है कि इसमें खाने-पीने की चीजों की महंगाई की भी भूमिका रही। पिछले 12 महीने में खासकर गेहूं, दाल और सब्जी की कीमत में भारी तेजी आई है। इससे आम आदमी का बजट बुरी तरह गड़बड़ा गया है। जाहिर है कि वोट देते समय कहीं न कहीं मतदाताओं के मन में यह बात रही होगी। मई 2018 से अप्रैल 2019 के बीच रिटेल फूड इन्फ्लेशन औसतन 0.03 फीसदी रहा, वहीं इस बार मई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच खुदरा खाद्य महंगाई औसतन 7.88 परसेंट रही। इस दौरान अनाज की कीमत में सालाना औसतन 10.39 फीसदी, दालों में 16.07 फीसदी और सब्जियों की कीमत में 18.33 फीसदी तेजी रही। मई 2018 से अप्रैल 2019 के बीच अनाज की कीमत में 1.98 फीसदी की मामूली तेजी ही थी जबकि दाल की कीमत में 7.24 फीसदी और सब्जी की कीमत में 4.80 फीसदी गिरावट आई थी।इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में महंगाई में बेहद मामूली तेजी देखने को मिली। इस दौरान ओवरऑल कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई औसतन 4.39 परसेंट रही जबकि कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (CFPI) आधारित महंगाई औसतन 3.38 फीसदी रही। मई 2014 से अप्रैल 2019 के दौरान 60 महीनों में से केवल 21 महीने CFPI महंगाई CPI महंगाई से अधिक रही। लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में तस्वीर पलट गई। मई 2019 से अप्रैल 2024 के दौरान सीपीआई आधारित महंगाई औसतन 5.69 परसेंट रही जबकि एवरेज रिटेल फूड इन्फ्लेशन 6.48 परसेंट रहा। इस दौरान 58 में से 30 महीनों में CFPI महंगाई CPI महंगाई से अधिक रही।

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कैसे-कैसे बढ़ी महंगाई

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कम महंगाई की बड़ी वजह यह रही कि इस दौरान कच्चे तेल में ज्यादा उछाल दिखने को नहीं मिला। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एग्री कमोडिटीज की कीमतें भी लगभग स्थिर रहीं। यूएन का फूड प्राइस इंडेक्स 2013-14 में औसतन 119.1 अंक रहा जो 2015-16 में गिरकर 90 अंक रह गया था। यह 2019-20 में औसतन 96.5 अंक रहा लेकिन इसके बाद इसमें भारी तेजी रही। 2021-22 में यह 133.3 अंक और 2022-23 में 140.8 अंक के रेकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया। उसके बाद से इसमें कुछ नरमी आई है लेकिन असामान्य मॉनसून से देश में कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ है।

मोदी सरकार ने हाल के वर्षों में खाने-पीने की चीजों की महंगाई रोकने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। इनमें गेहूं, गैर-बासमती चावल, चीनी और प्याज के निर्यात पर पाबंदी शामिल है। साथ ही दालों और खाद्य तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती की गई है। ट्रेडर्स और रिटेलर्स के लिए गेहूं और दालों की भंडारण सीमा निर्धारित की गई है। लेकिन इन उपायों से खाने-पीने की चीजों की महंगाई को कम करने में मदद नहीं मिली है। खासकर गेहूं, दाल और सब्जियों की कीमत में लगातार तेजी बनी हुई है। शायद यही महंगाई बीजेपी को इस बार भारी पड़ी और वह लगातार तीसरी बार अपने दम पर बहुमत हासिल करने में नाकाम रही।