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Success Story: दो दोस्त हवा में उगाते हैं केसर! 9 लाख रुपये किलो में बेचकर बंपर कमाई, यह जुगाड़ कैसा?

Success Story: दो दोस्त हवा में उगाते हैं केसर! 9 लाख रुपये किलो में बेचकर बंपर कमाई, यह जुगाड़ कैसा?

Source: Navbharat Times

नई दिल्ली: सुभाष कनेटिया और आशीष बावलिया की मुलाकात गुजरात के नवसारी कृषि विश्वविद्यालय में हुई। दोनों यूनिवर्सिटी में बीटेक की पढ़ाई के लिए पहुंचे थे। बहुत जल्दी सुभाष और आशीष की दोस्ती हो गई। इनका एक ही तरह की पृष्ठभूमि से आना इसकी एक बड़ी वजह थी। दोनों किसान परिवारों से थे। उनके गांव एक-दूसरे के बहुत करीब थे। किसानों की आय बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का फायदा उठाने में उनकी जबर्दस्त दिलचस्पी थी। उन्होंने 2022 में हमापुर गांव में एरोपोनिक्स के जरिये केसर की खेती शुरू की। एरोपोनिक्स कृषि का ऐसा तरीका है जिसमें पौधों की जड़ों को मिट्टी के बजाय हवा में रखा जाता है। दोनों दोस्तों ने इसमें सफलता हासिल की।

एरोपोनिक्स तरीके का किया इस्तेमाल

दोनों ने 30 वर्ग फीट का एक चिलर फ्रिज लगाया। कश्मीर से 10 किलो केसर सीड (बल्ब या कॉर्म) मंगवाए। नौसिखिए होने के कारण उन्हें सीड्स के लिए 10,000 रुपये का भुगतान करना पड़ा, जबकि सामान्य तौर पर इसकी कीमत 700 से 800 रुपये किलो होती है। आशीष और सुभाष ने केसर की खेती के लिए एरोपोनिक्स का इस्तेमाल किया। इस विधि में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। इसके के लिए जो जरूरी चीजें हैं, उनमें एक कोल्ड स्टोरेज रूम, हवा में पोषक तत्वों से भरपूर नमी जोड़ने के लिए एक ह्यूमिडिफायर और छेद वाली लकड़ी की ट्रे शामिल हैं। एरोपोनिक्स में पौधों को हवा में लटकाया जाता है और नमी वाला वातावरण बनाए रखा जाता है।

सुभाष को हाथ लगा रिसर्च पेपर

2022 में कॉलेज पूरा करने वाले सुभाष आशीष से एक साल जूनियर थे। उन्होंने इनडोर, टेम्परेचर कंट्रोल्ड फार्मिंग पर एक रिसर्च पेपर पाया। वह इसे केसर पर लागू करने के लिए उत्सुक थे। सुभाष भावनगर जिले के भद्रवाड़ी गांव के रहने वाले हैं। आशीष को भी यह आइडिया आकर्षक लगा। दोनों ने इनडोर केसर की खेती पर शोध करना शुरू कर दिया। उन्होंने आशीष के खेत पर खाली पड़ी बिल्डिंग का इस्तेमाल करते हुए अमरेली जिले के हमापुर गांव में एक्सपेरिमेंट शुरू करने का फैसला किया।

कितने निवेश की पड़ती है जरूरत?

एरोपोनिक्स में प्रकाश, पानी और तापमान को सावधानी के साथ कंट्रोल किया जाता है। शुरुआती निवेश 3 लाख रुपये से 4 लाख रुपये तक होता है। एक बार बल्ब लग जाने पर वे 15-20 दिनों में अंकुरित होने लगते हैं। केसर के फूल के लिए अनुकूल तापमान 17 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। पहले दिन से 50 दिनों में फूल आना शुरू हो जाते हैं। फिर कटाई शुरू करनी होती है। केसर का फूलना शुरू से लेकर लगभग 90 दिनों तक जारी रहता है। अंत में बड़े आकार के फूल खिलते हैं। एरोपोनिक्स का उपयोग करके किसान एक साल में चार फसलें उगा सकते हैं।

900 रुपये ग्राम पर बिक्री

सुभाष और आशीष ने सीड्स को और अधिक बढ़ाने के लिए खेती को 30 वर्ग फीट से बढ़ाकर 216 वर्ग फीट कर दिया। 500 किलो बीज से उन्हें 1 किलो केसर मिला। उच्च गुणवत्ता के कारण वे केसर को 900 रुपये ग्राम की दर से बेच पाए। इस तरह उन्होंने 9 लाख रुपये कमाए। इसे उन्होंने आयुर्वेद कंपनियों, कॉस्मेटिक कंपनियों और अन्य खुदरा खरीदारों को बेचा।