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फिलहाल नहीं होगी आकाश आनंद की वापसी, मायावती कर रहीं सही वक्त का इंतजार

फिलहाल नहीं होगी आकाश आनंद की वापसी, मायावती कर रहीं सही वक्त का इंतजार

Source: Navbharat Times

लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती ने इस लोकसभा चुनाव में अपने भतीजे आकाश आनंद को जोर-शोर से मैदान में उतारा था। उसके बाद अचानक उनको चुनाव के बीच में ही अपने उत्तराधिकारी और कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया और सभाएं बंद करा दी थीं। अब चर्चा यह थी कि चुनाव बाद जल्द ही उनकी फिर धमाकेदार वापसी होगी लेकिन ऐसा नहीं होने जा रहा। फिलहाल आकाश आनंद की मुख्य धारा में वापसी नहीं होगी। उसके लिए मायावती सही वक्त का इंतजार कर रही हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि 23 जून को होने जा रही ऑल इंडिया मीटिंग में जिला स्तर से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक के सभी पदाधिकारियों को बुलाया है। उसमें भी आकाश आनंद नहीं रहेंगे।तैयार होगी आगे की रणनीतिबसपा प्रमुख मायावती ने 23 जून को होने वाली बैठक में हार की समीक्षा करने के लिए वृहद बैठक बुलाई है। इसमें वह सभी मंडल और सेक्टर प्रभारी हार के कारणों पर अपनी रिपोर्ट मायावती को सौंपेंगे। उसके बाद सब मुद्दों पर जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सभी पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगी। पूरे देश के पदाधिकारियों की इस बैठक में समीक्षा के साथ ही वह आगे की रणनीति के बारे में भी चर्चा करेंगी और निर्देश देंगी। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद भी संगठन में कई बदलाव हो सकते हैं। कुछ पदाधिकारियों पर ऐक्शन हो सकता है।

INDIA का आरक्षण और संविधान का मुद्दा बसपा को ले डूबाइस लोकसभा चुनाव में अपनी शुरुआत से लेकर अब तक का बसपा का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। उसे एक भी सीट नहीं मिली और महज 9.39 प्रतिशत ही वोट मिले हैं। इस हार के तुरंत बाद से ही मायावती लगातार समीक्षा कर रही हैं। उन्होंने पिछले दिनों उन्होंने एक बैठक कर सभी सेक्टर और मंडल प्रभारियों से रिपोर्ट मांगी है। कुछ सेक्टर प्रभारी अपनी रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं और कुछ अभी तैयार कर रहे हैं। ज्यादातर का यही मानना है कि संविधान और आरक्षण ही इस चुनाव का अहम मुद्दा रहा। वे कहते हैं कि वैसे बसपा हमेशा ही संविधान और आरक्षण की बात करती रही है। इस चुनाव में सपा और कांग्रेस ने इन मु्द्दों को लेकर काफी आक्रामक प्रचार किया। हालांकि बसपा नेताओं का कहना है कि संविधान कोई आसानी से नहीं बदल सकता। यह भ्रामक प्रचार था लेकिन दलित संविधान को लेकर काफी भावनात्मक हैं। सपा और कांग्रस उनके मन में यह डर बैठाने में कामयाब हो गईं कि संविधान बदल गया तो उनके सारे अधिकार चले जाएंगे। इसकी शुरुआत भाजपा के कुछ नेताओं ने यह कहकर की कि 400 पार सीटें आ गईं तो संविधान बदल देंगे। कांग्रेस और सपा ने इसी को आधार बनाकर पूरा प्रचार किया।

दलित और मुसलमानों ने बढ़ाई INDIA की ताकतसपा नेताओं की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आ रही है कि मुस्लिम वोट भी पूरी तरह सपा के साथ चला गया। वे भाजपा के विरोध में ही वोट करना चाहते हैं। उनको लगा कि इस बार भाजपा के मुकाबले INDIA गठबंधन ज्यादा मजबूत है। ऐसे में उन्होंने एकतरफा INDIA गठबंधन को वोट कर दिया। इस तरह दलित और मुस्लिम वोटरों ने INDIA कई जगह संगठन और प्रत्याशियों के बीच तालमेल का अभाव की बात भी सामने आ रही है।